SOME HOME REMEDIES
Posted by on Friday, 3rd October 2025
आंखों के नीचे काले धब्बे ( black spots below the eyes ) :-
आंखों के नीचे काले धब्बे होना आम समस्या है कम सोने, अधिक थकान होने, कमजोरी अथवा किसी बीमारी के कारण होते है । प्राय: नींद न आने की बीमारी के कारण होते हैं और उनकी आंखों पर काले धब्बे पड़ जाते है । नींद लेना स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है । यदि आपको नींद नही आती, आप को थकावट रहती है तो रोज सुबह घर में ही एक्ससाइज करनी चाहिये ।
आंखों की चारों तरफ की त्वचा बड़ी नाजुक होती है । इसलिये सौन्दर्य प्रसाधन लगाते समय बड़ी सावधानी बरतनी चाहिये । सोने से पहले त्वचा को नमी देने वाली क्रीम या लोशन इस्तेमाल करनी चाहिये । रूई के फोहे को आंखों के इर्द-गिर्द लगाएं । आंखों के लिये बादाम क्रीम सबसे उपयुक्त होती है । इससे रंग भी साफ होता है और साथ ही त्वचा का पोषण होता है। कोई भी सौन्दर्य-प्रसाधन तत्व आंखों वाले क्षेत्र पर ज्यादा देर नहीं लगाना चाहिये । चेहरे पर लगाया जाने वाला लेप आंखों के आसपास नहीं लगाना चाहिये । आंखों पर खीरे का रस,आलू का रस तथा गुलाबजल को रूई के फोहे में भिगोकर आंखों पर रखना चाहिये ।
मुँहासों के सफेद व काले दाग का प्रभाव :-
सफेद मुहांसे से भी काले मुँहासों की तरह त्वचा में चिकनाई जम जाने के कारण होते है । इन काले और सफेद मुँहासों में अंतर यह है कि जहां की त्वचा मुलायम और चिकनी होती है वहां रोम छिद्रों में चिकनाई बाहर नहीं निकल पाती इसलिये अंदर ही अंदर वह पस के रूप में बाहर की तरफ उभर आती है । जो ऊपर की तरफ से सफेद तथा नीचे से काले मुँहासों की तरह दिखाई देती है । अधिक चिकनी त्वचा के लिये यह अधिक परेशानी पैदा करती है । इन्हें समाप्त करने के लिये बाजार में उपलब्ध सौन्दर्य प्रसाधन व कुछ घरेलू नुसख़े काम में लाये जा सकते है।
चेहरे को पानी से अच्छी तरह धोकर साफ तौलिये से पोंछ लें और फिर सल्फर लोशन लगाएं । इसके बाद गर्म पानी में तौलिया भिगोकर चेहरे को भाप दें। इस उपाय को करने से त्वचा के बंद छिद्र खुल जायेंगे तथा इसके साथ-साथ आप विटामिन बी. सी की गोलियों का सेवन भी करते रहें ।
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फूड पॉइजनिंग-
Posted by on Friday, 3rd October 2025
क्या है फूड पॉइजनिंग-
शादी या किसी समारोह में या फिर बाहर ठेलों पर बिकने वाली कोई चीज खाने पर बच्चों में उल्टी, बुखार, कंपकंपी या लूज मोशन जैसा कोई लक्षण नजर आए, तो इसे फूड पॉइजनिंग कहते हैं। फर्क इतना है कि अपनी-अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार किसी में लक्षण अधिक तो किसी में कम नजर आते हैं।
क्या सावधानी बरतें -
अगर किसी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ का ढक्कन उभरा हुआ है, तो उसे ना खाएं। ढक्कन के उभरे होने का मतलब है कि उसमें गैस भर गई है और वह खराब हो गया है।
* फूले हुए टेट्रा पैक का जूस न पिएं। इसके फूलने से पता चलता है कि इसमें गैस भर गई है, भले ही इसकी एक्सपायरी डेट बाद की हो, पर इसे इस्तेमाल में न लाएं।
* शादी-ब्याह में जा रहे हैं, तो वहां सलाद जैसी चीजें खाने से परहेज करें। सलाद में इस्तेमाल में लाई जा रही सब्जियों का सही तरीके से साफ होना और फिर काटने वाले व्यक्ति के हाथों का धुला-साफ होना जरूरी है। इस तरह की कच्ची चीजें खाने से परहेज करें।
* दही और दूध की बनी हुई कोई भी चीज, जो उबली ना हो, न खाएं। खासतौर से ऐसी चीजें बच्चों को ना दें।
* दाल-सब्जी आदि जैसी चीजें, जो उबालकर बनाई जाती हैं, उन्हें खा सकते हैं।
* फूड पॉइजनिंग होने पर बच्चे को अस्पताल ले जाएं।
ट्रीटमेंट : वहां बच्चे को आईवी फ्लूइड्सल दिए जाते हैं।
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माता-पिता की परवरिश का बच्च
Posted by on Friday, 3rd October 2025
नई स्टडी से पता चला है कि माता-पिता की परवरिश का बच्चों की सेहत पर खास प्रभाव पड़ता हैं। माता-पिता का कठोर व्यवहार बच्चों के आलस्य का कारण बनता है।
हाल ही में 0 से 11 वर्ष तक के कैनेडियन बच्चों पर हुई रिसर्च से यह बात सामने आई है कि जो माता-पिता अपने बच्चो से प्यार से बात करके कोई भी फैसला लेते हैं, उनके बच्चे ज्यादा स्वस्थ और फुर्तीले होते हैं। जबकि जो माता-पिता अपने फैसले बिना किसी सलाह के अपने बच्चों पर थोपते हैं वे बच्चे काफी अकेलेपन महसूस करने लगते हैं और इसका नतीजा बच्चों में आलस्य और मोटापे के रूप में सामने आता है।
लीसा काकीनामी जो कि मैकगिल यूनिवर्सिटी की पोस्ट डॉक्टोरल एपिडेमियोलॉजिस्ट हैं, उनका कहना है कि अधिकतर माता-पिता सही परवरिश की ओर ध्यान नहीं देते हैं और वे इस बात को ज्यादा महत्व भी नहीं देते हैं। अगर बच्चो को संतुलित परवरिश दी जाए तो उन्हें मोटापे और आलस्य जैसी बीमरियों से बचाया जा सकता है।
इस शोध में एक सर्वे में कुछ माता-पिता से बात की और अलग-अलग परवरिश के तरीकों की लिस्ट बनाई और फिर बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) प्रतिशत से इसका विश्लेषण किया। काकीनामी का कहना है कि घर के माहौल से भी बच्चों की सेहत एवं आदतों को आकार मिलता है।
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HOW TO MANAGE STAFF IN WORKPLACE
Posted by on Friday, 3rd October 2025
कार्य स्थल में स्टाफ को कैसे मैनेज किया जाए ?
कुछ दिन पहले मेरे एक परिचित का उनके डिपार्टमेंट में प्रोमोशन हुआ था. कुछ दिन तक वो खुश रहे पर जैसे जैसे समय बीतता गया उनकी परेशानियां भी बढ़ने लगी और वो दुखी से रहने लगे.
बात करने पर पता चला कि हॉस्पिटल स्टाफ और अपने बॉस के साथ तालमेल नहीं बैठ पा रहा है और जो कार्यस्थल पर जो पहले मित्र थे अब उनसे भी सम्बन्ध अच्छे नहीं रह गए हैं; ऊपर से बॉस का प्रेशर अलग. वो अपने मरीजों से भी ठीक व्यवहार नहीं कर पा रहे थे.
मेरे विचार से ये मित्र नयी ज़िम्मेदारी आने पर वर्कप्लेस और स्टाफ के बीच तालमेल ठीक नहीं बैठा पा रहे थे और प्रेशर में आकर गलत निर्णय ले रहे थे.
एक स्वास्थ्य प्रशासक के दृष्टिकोण से उसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपने कार्यस्थल में सही वातावरण बनाने का होता है. स्वस्थ वातावरण होने पर ही जो काम हम अपने कर्मचारियों से करवाना चाहते हैं वो पूरे हो जाते हैं.
हममे से अधिकाँश ने अपने अधिकारियों को आदेश देते हुए देखा है और न जाने कितने वर्षों से आदेश देने और उसे पूरा करने की बाध्यता का क्रम चला आ रहा है.
लेकिन स्वास्थ्य के बदलते हुए वैश्विक परिवेश में लगातार बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा में सिर्फ आर्डर देने से ही हमारा हॉस्पिटल या उसका कोई डिपार्टमेंट सफल नहीं बन सकता है .
एक कुशल प्रशासक को हर तरह की चुनौती से निबटना आना चाहिए. किसी भी डिपार्टमेंट की सफलता के लिए सकारात्मक माहौल होना बहुत ज़रूरी होता है. नई ज़िम्मेदारी आने के बाद उसे निभाने के लिए हम -
� अपने स्टाफ के सामने स्पष्ट रूप से उनसे आप क्या उम्मीद करते हैं ये बता दें.
� स्टाफ की उस काम को करने के लिए आवश्यक योग्यता है भी या नहीं ये देख ले.
� उस काम को करने के लिए आपके स्टाफ के पास ज़रूरी क्षमताएं हैं या नहीं ये भी पहले जांच लें.
� पता करें कि उस काम को पूरा करने के लिए उनके पास ज़रूरी साधन हैं या नहीं.
� अपने अधीन स्टाफ को समान रूप से काम बाँट दें.
� उनको काम पूरा करने के लिए और सुधार के लिए समय समय पर सलाह देते रहें.
मेरे विचार से दो टाइप की समस्यांए सबसे पहले सामने आती हैं-
१- अधिकारी बनने के बाद पुराने साथियों को मैनेज करना
२- अपने अधिकारी की अपेक्षाओं को पूरा करना
१.पुराने साथियों को अधिकारी के रूप में मैनेज करना-
� जब किसी का प्रमोशन हो जाता है और वो अपने डिपार्टमेंट में अपने वर्तमान साथियों का ही बॉस बनकर पहुच जाता है तो इस समय उनके कुछ पुराने साथियों के अहम् को चोट लगती है और वो ऐसा सोच सकते हैं कि कल तक तो ये हमारे साथ ही काम करता था और आज हमें इसके आर्डर मानने पढ़ रहे हैं. लेकिन ये मानव स्वभाव है कि हम इस बदलाव को जल्दी से नहीं एडजस्ट कर पाते हैं
� इस समय आप अपने ऊपर कण्ट्रोल करते हुए सिर्फ अपने कार्य के ऊपर ही फोकस करें. आपके अन्दर किसी गुण या योग्यता को देखकर ही आपके उच्चाधिकारियों ने आपको प्रमोट किया है. इसे व्यर्थ के वाद विवाद और अहम से जुड़े मुद्दों में न पढ़ने दें.
� स्पष्ट रूप से बताएं कि आपका उनके साथ अब क्या रोल है और आप कैसे उनके साथ काम करना चाहते हैं.
� कार्यस्थल में निष्पक्ष रहें. कार्यस्थल पर तथा व्यक्तिगत सम्बन्धों में अंतर करना सीखें.
� उनसे कहें कि काम को अधिक परफेक्शन से करने के लिए और क्या आइडियाज हो सकते हैं.
� उनकी भावनाओं को समझते हुए बात करें; जैसे अगर आपके किसी पूर्व साथी को प्रशासक के रूप में आपके साथ कार्य करने में समस्या आ रही है तो कहें � मै समझ सकता हूँ कि आपको मेरे साथ काम करने में समस्या आ रही है ; पर हमे मिलजुल ही इस काम को करना है और यही हमारे डिपार्टमेंट के लिए उचित है.
� उनसे पूछें कि आप किस तरह से इस काम को मेरे साथ पूरा कर सकते हैं.
� उनके साथ लगातार निष्पक्ष रूप से कार्य करते रहें जिससे उन्हें भी समझ में आ जाए कि क्यों आपको इस पोजीशन के लिए प्रमोट किया गया.
� अपने साथियों के साथ कोई भी समस्या आने पर आप उन समस्याओं को एक जगह नोट कर लें और उसे सुलझाने के स्टेप पर मिलजुल के कार्य करें.
२. अपने अधिकारी की अपेक्षाओं को पूरा करना-
� हमारे उच्चाधिकारी और हमारे बीच कभी कभी काम को करने के तरीकों और उससे जुड़े कई मुद्दों में अक्सर मतभेद देखे जाते हैं. इससे हमारी कार्य् क्षमताओं पर असर पड़ना स्वाभाविक है.
� आपको हर समय अपने बॉस की अपेक्षाओं को ठीक ठीक जानना ज़रूरी है. इसके लिए समय समय पर अधिकारी से फीडबैक लेते रहना चाहिए. बॉस से अच्छा तालमेल बनाये रखने के लिए हमारी कम्युनिकेशन स्किल्स पर मज़बूत पकड़ होनी चाहिए.
� हमें अपनी स्किल्स को लगातार अपडेट करते रहना चाहिए. हर कार्य पूरा होने के बाद बॉस की उम्मीदें पहले से ज्यादा हो जाती हैं. इसलिए हमारे काम की कुशलता भी पहले से ज्यादा होनी चाहिए.
यहीं हमें बैलेंस बनाना है.
अगर हम अपने बॉस, अपने साथ और अधीन स्टाफ, अपने मरीजों की अपेक्षाओं और उनमे तालमेल बैठा लेते हैं तो हमारी प्रोफेशनल ग्रोथ भी डिपार्टमेंट की ग्रोथ के साथ बढ़ जायेगी ऐसा मेरा व्यक्तिगत अनुभव है !!!!!!
पिछली पोस्ट पर आपके सुझावों पर अमल करते हुए ही हमने यह पोस्ट लिखी है .
धन्यवाद ,
डॉ.स्वास्तिक
(अन्य मुद्दों तथा सुझावों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )
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OBESITY : HOW TO CONTROL WEIGHT AND STAY FIT
Posted by on Friday, 3rd October 2025
मित्रों आज मैं W.H.O. की रिपोर्ट देख रहा था जिसमें मोटापे के बारे में बहुत कुछ बताया गया था. तो सोचा कि आज इसी विषय पर आपसे चर्चा करी जाए और अपने विचार और अनुभवों को बांटा जाए.
मेरे पास अनेक ऐसे रोगी आते हैं जो मोटापे से परेशान हैं और इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानना चाहते हैं और इससे मुक्ति पाना चाहते हैं. तो उनके जो जो प्रश्न होते हैं और इस दौरान जो चर्चा होती है वह आपकी जानकारी के लिए दी जा रही है.
1. मोटापा क्या है-
मोटापा सम्पूर्ण विश्व में तेज़ी से फैलती हुई एक ऐसी समस्या है जिसे हर देश में एक न एक परिवार या उसका कोई एक सदस्य पीड़ित है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2008 में दुनिया के 9.8 प्रतिशत पुरुष और 13.8 प्रतिशत महिलाएँ मोटापे का शिकार थीं. दुनिया में मोटापे का संबंध आय से रहा है और अधिक आय वाले देशों में मोटापा अधिक बढ़ा है।
वास्तव में देखा जाए तो यह एक बीमारी ही नहीं बल्कि हमारे शरीर द्वारा आधुनिकीकरण के कारण भाग दौड़ वाले जीवन में अनाप शनाप खाने के प्रति एक ऐसा सिग्नल दिया जाता है जिसे अगर सही समय पर कंट्रोल नहीं किया जाए तो यह किसी न किसी रूप में भयंकर बीमारियों में परिवर्तित हो सकता है. मोटापे के कारण ही पूरे विश्व में उच्च रक्तचाप यानी हाई बी.पी. , हार्ट की बीमारियों के कारण ऊंची मृत्यु दर हो गयी है.
2. मोटापे का क्या कारण होता है ?
मोटापे का मुख्य कारण तो हम सभी जानते हैं और वो हैं अधिक खाना. इसके अलावा अगर भोजन की ली गयी मात्रा के अनुसार श्रम नहीं किया जाए तो भी एक्स्ट्रा चर्बी शरीर में इकठ्ठा होने लगती है और शरीर बेडौल हो जाता है.
लेकिन आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि केवल अधिक खाना ही इसका एकमात्र कारण नहीं है.
मोटापे के कई आंतरिक कारण भी होते हैं जैसे- शरीर की कार्यप्रणाली में असंतुलन, तंत्रिका तंत्र के कुछ विकार, हारमोनों के घटने या बढ़ने की अवस्था. कभी कभी ये भी देखने में आता है कि किसी किसी परिवार में नहीं यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही होती है.
वैज्ञानिकों ने पता लगा है कि ऐसा कुछ आनुवांशिक कारणों से भी होता है. अगर माता पिता में से कोई भी मोटापे से ग्रसित नहीं है तो अगली पीढ़ी में इसके होने की संभावना सिर्फ ७% होती है. वहीँ दूसरी और अगर माता पिता में से कोई एक मोटापे से पीड़ित है तो यह संभावना ४० % तक बढ़ जाती है और अगर माता पिता दोनों ही मोटे हैं तो यह संभावना ८०% तक हो जाती है.
3. मोटापे में शरीर के अन्दर क्या परिवर्तन होता है ?
हाल में हुई रिसर्च से पता चला है कि शरीर में sympathetic नर्वस सिस्टम की क्रियाहीनता से चर्बी की मात्रा बढ़ने लगती है. हमारे शरीर में parasympathetic नर्वस सिस्टम नामक तंत्रिका तंत्र की एक प्रणाली होती है जो शरीर में ऊर्जा के इकठ्ठा होने और उसके खर्च होने पर कण्ट्रोल करता है.
अगर इसके अंदर कोई गडबडी हो जाए तो शरीर में ऊर्जा का ज्यादा स्टोर होने लगता है और हम ज़्यादा खाने लगते हैं जिससे कुछ ही दिनों में भयंकर मोटापा हो जाता है.
4. अपने शरीर को छरहरा कैसे बनाये रखा जाए ?
शरीर को छरहरा बनाने के ७ तरीके-
१- पूरे दिन भर में मैंने क्या खाया ये लिखें
२- शरीर की ज़रूरत के अनुसार ही खाना खाएं. खाना खाते समय इस बात काध्यान रखें कि पेट पूरी तरह ना भर जाए बल्कि उसमें १०-२०% जगह बची हो.
३- फास्ट फ़ूड जैसे- चाउमीन ,बर्गर , पिज़्ज़ा, हॉट डॉग आदि के सेवन से बचें.
४- खाने के समय खाना छोटे बर्तनों में लेने की आदत डालें.
५- खाने को धीरे धीरे चबा कर खाए. ऐसा माना जाता है कि खाने के हर कौरे को अगर २० बार चबाया जाए तो उसके तत्वों का पूरा फायदा आपको मिल जाता है ; या यों कहिये कि अगर हर कौर को २० बार चबाया जाए तो वह पूरी तरह से आपके मुहं में घुल जाता है.
६- खाने का एक निश्चित समय रखें
७- प्रतिदिन कम से कम ४-५ किलोमीटर तेज़ी से चलने का अभ्यास बनाए रखें.
5. क्या इसका कोई प्राकृतिक इलाज़ भी है ?
जी हाँ अगर आप दवा नहीं खाना चाहते हैं तो आप ये करें-
रिंग फिंगर( अनामिका अंगुली) को मोडकर उसके ऊपरी नाखून वाले भाग को अंगूठे के जड पर प्रेशर डालें और अंगूठा मोडकर अनामिका पर दबाव -हल्का बनाये रखें और बाकी अंगुलियों को अपने सीध में रखें। इस तरह जो मुद्रा बनती है उसे सूर्य मुद्रा कहते हैं। यह मुद्रा शारीरिक मोटापा घटाने में बहुत सहायक होता है। जो लोग मोटापे से परेशान हैं, इस मुद्रा का प्रयोग कर असर देख सकते हैं। मैंने कई मरीजों को ये बताया है और इससे उन्हें फायदा हुआ है.
6. मोटापा कम करने के लिए क्या क्या खाएं-
भोजन में गेहूं के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की रोटी लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ।
भोजन मे ज्यादा रेशे वाले पदार्थ शामिल करें। हरी सब्जियों ,फलों में अधिक रेशा होता है।
पत्ता गोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबोलिज्म ताकतवर बनता है।
चाय में पोदिना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।
रोजाना कच्चा टमाटर, नमक और प्याज साथ खाने से मोटापा कम होने लगता है।
7. क्या कोई आयुर्वेदिक औषधि भी है-
बिलकुल हैं ! प्राचीन काल से ही बहुत सी अनमोल औषधियां थीं जिन्हें नित्य प्रयोग मे लाकर शरीर को सुडौल व छरहरा बनाये रखा जाता था. आप भी इनका ध्यान से सेवन करें-
पिपली का चूर्ण दो बार शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है पिपली सेवन के एक घंटे बाद तक कुछ न सेवन करें तो ज्यादा अच्छा है |
१ चम्मच शहद आधा चम्मच नींबू का रस गरम जल में मिलाकर लेते रहने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी नष्ट होती है। यह दिन में 3 बार लेना चाहिए।
पुदीना रस एक चम्मच 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।
मोटापा घटाने के लिए सात दिन में एक दिन व्रत जरुर रखें और सिर्फ फलों का ही सेवन करें।
8. क्या कोई रिसर्च भी ऐसी घरेलू चीजों पर हुई है �
हाँ; ब्रिटेन में हुए एक शोध में सिद्ध हो गया है कि लाल मिर्च शरीर में व्याप्त अवांछित कैलोरी जलाने एवं मोटापा घटाने में मददगार साबित हो सकता है।
9. क्या कोई आसन भी है जिससे मैं अपना मोटापा कम कर सकूँ-
बिलकुल है ; आप सुबह उठकर शौच से निवृत्त होने के बाद निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें �
भुजंगासन, शलभासन, उत्तानपादासन, सर्वागासऩ, हलासन, सूर्य नमस्कार। इनमें शुरू के पाँच आसनों में 2-2 मिनट और सूर्य नमस्कार पांच बार करें तो पांच मिनट यानी कुल 15 मिनट लगेंगे।
तो मित्रों अगर आप या आपका कोई परिचित मोटापे से परेशान है तो इन उपायों से लाभ उठा सकते हैं. इन सभी उपायों से सैकड़ों रोगियों ने लाभ उठा कर हमें बताया है !!
और अगर आपके पास भी कोई ऐसा उपाय है तो उसे बताएं जिससे ज़्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके.
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥
धन्यवाद !!!!
आपका अपना,
डॉ.स्वास्तिक
(ये सूचना सिर्फ आपके ज्ञान वर्धन हेतु है. किसी भी गम्भीर रोग से पीड़ित होने पर चिकित्सक के परामर्श के बाद अथवा लेखक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें . अन्य मुद्दों तथा सुझावों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )
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